HOW HALDIRAM BECAME HALDIRAM’S
दोस्तों पिछले कुछ सालों से आपने एक चीज नोटिस करी होगी कि आजकल जहां हम कोई function या festival वागेर देखते हैं तो वहां पर हमको नमकीन और स्वीट सिर्फ Haldiram’s कंपनी की ही देखने मिलती है। Haldiram’s बिना बोले इंडिया की फूड मार्केट की एक premium choice बन चुकी है। जहां बस Haldiram’s का नाम सुनते ही सभी लोगों को यह भरोसा हो जाता है कि अगर Haldiram’s है तो बेस्ट ही होगा; लेकिन यह सोचने वाली बात है कि जहां इंडिया के हर कोने में अलग-अलग कल्चर बसते हैं और सब कल्चर का खाना बिल्कुल अलग है एक दूसरे से, तब भी किस तरह Haldiram’s ने सभी इंडियंस को अपनी स्वीट्स और नमकीन का ऐसा दीवाना बना दिया कि बड़े-बड़े इंडिया के स्वीट ब्रांड्स भी फीके पड़ गए इसके आगे। और ऐसा भी नहीं है कि इसको सिर्फ इंडिया में ही पसंद किया जाता है, Haldiram’s इंडिया से बाहर भी 80 देशों में अपने प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट करता है और वहां भी उनकी सेल्स काफी हाई है। लेकिन आखिर इसकी डिमांड इतनी क्यों बढ़ती जा रही है और कैसे Haldiram’s राजस्थान के एक छोटे से गांव से आज दुनिया के सबसे बड़े फूड ब्रांड्स में गिना जाता है। इसी पूरी कहानी को आज हम आगे जानने वाले हैं।
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Journey Started from 90s to Become Haldiram’s
तो चलो फिर शुरुआत करते हैं, इस जर्नी की शुरुआत होती है 90s के समय से जहां करीब 1901 से लेकर 1930 के बीच में Bikaram Agarwal जो कि दादा जी थे Haldiram के उनके दिन कुछ अच्छे नहीं चल रहे थे। उस समय उनको कोई काम ना मिलने की वजह से उन्होंने यह मन बना लिया कि अब खुद का ही धंधा करूंगा। तो इस दौरान उन्होंने गौर किया कि Bikaner के अंदर लोग आजकल भुजिया खाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। तो उन्होंने सुनहरे मौके को देखते हुए अपने शहर में एक दुकान ले ली और वहां भुजिया बनाना शुरू कर दिया, जो कि कुछ ही टाइम में वहां पर लोगों को पसंद भी आने लगा। साल 1908 Bikaram के पोते Ganga Bishan Agarwal का जन्म हुआ। जो कि अब आगे चलकर Haldiram’s की नीव रखने वाला था। Ganga Bishan को उनकी मां बचपन से ही उनके गोरे होने की वजह से Haldiram बुलाया करती थी और इसी वजह से उन्हें अपना दूसरा नाम Haldiram मिल गया। Haldiram जब सात आ साल के थे उसी टाइम से उन्होंने अपने दादाजी के दुकान में हाथ बटाना शुरू कर दिया। वजह इसकी यह थी कि मारवाड़ी परिवार में बच्चों को बहुत में से ही बिजनेस करना सिखा दिया जाता है; जिससे आगे चलकर उनको कैसे बिजनेस संभालना है इसकी जानकारी मिल जाए उनको। तो इसी नक्शे कदम पर चलते हुए Haldiram ने भी दुकान के छोटे-बड़े काम के अंदर मदद करना शुरू कर दिया। इस टाइम तक राजस्थान की गली के अंदर यह बिजनेस काफी ठीक-ठाक चल रहा था। बट Haldiram को यह comfort zone पसंद नहीं आया उनके दिमाग में भुजिया की दुकान को पूरी तरह से एक बिजनेस बनाने का ख्याल चलने लगा।
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Chapter-1 Huge Change in Product by Haldiram’s
चल रहे बिजनेस को एक्सपेंड करने के लिए बहुत जरूरी था कि उनकी भुजिया को बाकी दुकानदारों से अलग और अच्छा बनाना था। उस टाइम तक भी इनकी भुजिया बाकी सभी दुकानदारों की तरह एकदम सेम थी यानी उसमें कुछ खास या अलग नहीं था। पर Haldiram इसे खास बनाने के लिए अब पूरी कोशिश में लगे हुए थे। उन्होंने भुजिया को अलग-अलग तरीके से बनाना शुरू कर दिया यह जानने के लिए कि किस तरह से एक अलग भुजिया को मार्केट में लाया जाए। पहले तो उनको सिर्फ नाकामयाब ही हाथ लगी; लेकिन फिर उन्होंने भुजिया में एक ऐसा बदलाव किया कि वो भुजिया कुछ ही टाइम में पूरे एरिया में फेमस हो गई। असल में वो भुजिया के लिए जिस बेसन का इस्तेमाल करते थे उसके अंदर उन्होंने मोठ दाल को मिक्स कर दिया क्योंकि राजस्थान में मोठ दाल खाना काफी पसंद किया जाता था। और भुजिया के अंदर मोठ दाल का डल जाना एक अलग ही कांसेप्ट था। then यह वहां के लोगों को पसंद भी काफी आया। अब क्योंकि Haldiram के पास एक एडवांटेज आ गया था यानी कि अब वो कुछ ऐसा बेच रहे थे जो बाकी दुकानों पे नहीं मिल रहा। तो उन्होंने अपनी भुजिया के दाम को दुगना कर दिया। मतलब जहां बाकी दुकानदार ₹2 किलो के हिसाब से बेच रहे थे वहीं उन्होंने भुजिया ₹5 kg कर दी। जिससे लोगों के बीच में एक ऐसा मैसेज गया कि भाई Haldiram की भुजिया काफी premium है। इसी वजह से ही तो इसका दाम बढ़ा है। साथ ही साथ जो इनका अगला सबसे बड़ा मूव था उसने तो मानो उनको एरिया भर में काफी ज्यादा पॉपुलर कर दिया। उस वक्त Bikaner के king थे, King Dungar जिनके नाम से Haldiram ने एक Dungar sev नाम से एक अलग सेव को मार्केट में ला दिया। हालांकि राजा का सेव से कोई कनेक्शन नहीं था । लेकिन तब भी देखने वालों को यह लग गया कि यह राजा के नाम से है, तो जाहिर सी बात है यार कोई रॉयल चीज है। इससे उनकी फ्री मार्केटिंग भी हो गई और Haldiram’s अब एक ब्रांड बन गया । इसको शहर में अमीर हो या गरीब उसी एरिया के हो या किसी और एरिया के सब खाने आने लगे । उनकी दुकान पर कस्टमर्स की डेली भरमार लगने लग गई। बट इसी दौरान अचानक से कुछ ऐसा हुआ जिससे एक झटके में सब कुछ खत्म हो गया।
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Chapter-2 Haldiram’s Family Dispute
अब तक Haldiram की शादी हो चुकी थी और तीन बच्चे भी थे उनके। लेकिन उनके घर में आए दिन झगड़े होने लग गए। ये झगड़े घर की लेडीज के बीच में होते थे और बढ़ते बढ़ते यह झगड़े इतने बढ़ गए कि Haldiram को उनकी वाइफ को लेकर घर छोड़कर जाना पड़ गया। अब जैसे ही उन्होंने फैसला किया तो उनको इस घर के बिजनेस से एकदम ही बाहर कर दिया गया। इस दुकान को उनके भाइयों ने बांट लिया बट उनको एक फूटी कोड़ी तक नहीं मिली। अब Haldiram सड़क पर आ चुके थे बट क्योंकि उनकी वाइफ और तीन बच्चे थे उनके साथ तो उन्होंने अपनी जिम्मेदारी समझी और काम देखना शुरू कर दिया। Haldiram दोबारा से वही बिजनेस करना चाहते थे पर दिक्कत यह थी कि अब उनके पास पैसे नहीं थे। ऐसे ही एक दिन जब वह मार्केट में जा रहे थे तो पीछे से अचानक उनको किसी की आवाज सुनाई दी Ganga ओ Ganga। यह आवाज उनके बचपन के दोस्त की थी उससे मिलकर Haldiram ने जो जो उसके साथ हुआ वह सब उसको बता दिया। तो उसकी यह बातें सुनने के बाद उसके दोस्त ने अपनी पॉकेट में हाथ डाला और ₹1 का नोट निकालकर Haldiram को दे दिया। असल में यह कोई उधार नहीं था बचपन में Haldiram ने उसकी ₹2000000 देकर मदद करी थी और यह एहसान वह आज तक नहीं भूला था। बट Haldiram के लिए यह पैसे एक वरदान की तरह साबित हुए। सबसे पहले तो उन्होंने एक रूम किराए पर लिया एंड अब वह इस तलाश में जुट गए कि कौन सा धंधा शुरू किया जाए। यहां पर Haldiram की वाइफ मूंग दाल बहुत अच्छी बनाती थी। तो उन्होंने अपने बचे हुए सारे पैसों को मूंग दाल के इंग्रेडिएंट्स में खर्च कर दिया । और अगली ही सुबह उन्होंने मूंग दाल तैयार करी और उसे वह बेचने निकल गए। वह उन इलाकों में घूमने लगे जहां वर्कर्स ज्यादा थे। अब यहां पर लोगों ने उनकी मूंग दाल को खरीदना शुरू कर दिया और यह मूंग दाल वाकई में लोगों को पसंद आई। अब उनका यह छोटा बिजनेस एक स्टेबल तरीके से चलने लगा और धीरे-धीरे व इससे अपने असली बिजनेस यानी भुजिया पर भी आ गए। और भुजिया आते ही तो उन पर कस्टमर की लाइन लग गई। Because यहां भी उन्होंने वही मिक्सचर अपनाया था, जो फैमिली वाले बिजनेस में अपनाया था। उनके इलाके में फिर से यह बात फैल गई कि Haldiram अपनी भुजिया के साथ अब वापस आ चुका है। जिसे अब लोग उनकी shop में काफी तादाद में आने लगे एंड यहां से उनकी ग्रोथ बढ़ती चली गई।
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Chapter-3 Shivkishan Agarwal Grand Son of Haldiram’s
Second master mind of Haldiram सक्सेस। अब तक Haldiram के बेटों की शादी हो चुकी थी और उन्होंने अपने पिता के बिजनेस को Bikaner और Kolkata जैसी अलग-अलग जगहों पर संभाल रखा था। बेटे तो बेटे पोते भी जब बिजनेस में आने लायक बने तो उन्होंने भी इस बिजनेस को एक अलग ही लेवल पर ग्रो किया। यह सब देखते हुए अब Haldiram ने रिटायर होने का फैसला ले लिया, क्योंकि अब उनकी बॉडी में उतनी जान नहीं थी कि वह एक्टिवली सब कुछ कर सके एंड बच्चे तो बिजनेस उनका संभाल ही रहे थे। Haldiram के एक पोते थे Shivkishan, इन्होंने Haldiram को पूरे भारत में फेमस करने के अंदर एक बहुत बड़ा रोल निभाया। पहले तो इन्होंने अपने चाचा के साथ Kolkata वाली दुकान को संभाला ten फिर जब यह अच्छी तरह से स्टेबल हो गई तो उन्होंने एक ब्रांच को फिर Nagpur में खोलने का फैसला किया। तो Nagpur तो यह आ गए बट यहां पर उनके लिए एक चैलेंज था, वह यह है कि Nagpur आता है महाराष्ट्र के अंदर और Haldiram’s shop की सभी नमकीन और मिठाइयां राजस्थानी थी। वहां के लोगों ने ऐसा कुछ पहले टेस्ट ही नहीं किया था इसीलिए उनकी Nagpur वालीshop की सेल जरा भी नहीं हो रही थी। तो उन्होंने यहां पर अपना अलग दिमाग लगाया। उन्होंने अपनी shop के अंदर वो snacks भी रखने शुरू कर दिए जो उस जगह पर फेमस थे। पर Shivkishan ने क्वालिटी और टेस्ट बाकियों से काफी अच्छा रखा इससे एटलीस्ट उनकी shop पर कस्टमर आने शुरू हो गए। अब यहां Shivkishan उन snacks के साथ में फ्री में टेस्ट करने के लिए अपनी भुजिया भी देने लगे एंड जैसे-जैसे वोह टेस्ट लोगों के मुंह लगता गया इससे इस भुजिया की भी डिमांड बढ़नी शुरू हो गई। इसके अलावा उनके हाथ एक और मौका लगा जब उन्होंने यह गौर किया कि Nagpur में स्वीट की मार्केट में एक बहुत बड़ा गैप है और सभी दुकानदार वही गिनी चुनी 5-10 तरह की मिठाइयां बेच रहे हैं। वह यहां पर नई मिठाई लाकर बहुत आगे तक बिजनेस ले जा सकते हैं। यही सोचकर Shivkishan ने उस वक्त अपनी दुकान पर Kaju Katli को इंट्रोड्यूस किया जो कि बेशक सबसे बढ़िया मिठाइयों में से आती है। उस वक्त तक वहां के लोगों ने Kaju Katli जैसा कुछ खाया ही नहीं था तो यहां भी उन्होंने वही फ्री वाली तरकीब अपनाई और एक हफ्ते के अंदर वह पूरे इलाके में फेमस हो गई। यह मिठाई वहां इतनी सक्सेसफुल हुई कि बस 3 सालों के अंदर इनकी Nagpur की shop की सेल 400 पर से भी ज्यादा बढ़ गई। इसके बाद फिर उन्होंने और भी अलग मिठाइयों को इंट्रोड्यूस किया। और यहां पर Haldiram’s अब सिर्फ भुजिया तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि वह एक ऐसा ब्रांड बन चुका था जहां लगभग हर तरह के snacks मौजूद थे ।
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Chapter-4 Manohar Lal Agarwal Strategy To Becme Haldiram’s
Nagpur में अब तक Haldiram’s की चार ब्रांचेस खुल चुकी थी। अब उनको अपना यह बिजनेस Delhi की तरफ ले जाना था। जिसके लिए उन्होंने Delhi में बहुत समय तक एक भीड़भाड़ वाली जगह ढूंढ ली। यह जगह उनकी चांदनी चौक इलाके में थी लेकिन उस shop को खरीदने के लिए इनको ₹10 लाख चाहिए थे। जो कि बहुत ज्यादा थे उस टाइम के हिसाब से। एंड इनके पास भी इतने पैसे नहीं थे पर तब भी भगवान पर भरोसा रखकर Shivkishan ने दुकान के owner को यह कहा कि इसे मैं ही खरीदूंगा यह वादा करके जा रहा हूं। then इसके बाद फिर जैसे-तैसे उन्होंने 7 लाख का इंतजाम कर लिया बट अब भी उनको लगभग ₹3 लाख चाहिए थे तो अब यहां पर उनको अपने भाई से मदद मांगनी पड़ी। भाई ने उनकी बातें सुनी और फाइनली उनको ₹3 लाख दे दिए जिससे आखिरकार एक ब्रांच उनकी Delhi के अंदर भी खड़ी हो गई। Shivkishan अपने भाई की टाइम पर मदद करने से वह इतना खुश हो गए कि Delhi वाली पूरी दुकान की जिम्मेदारी उन्होंने उनको ही दे दी और खुद वापस से Nagpur वाली ब्रांच पर चले गए। पर एक दिन उनके भाई के साथ एक बहुत ही अजीब घटना हुई उस वक्त चांदनी चौक के कुछ गुंडों ने हफ्ता वसूली के नाम पर उनको बहुत ज्यादा पीटा जिसके बाद Delhi वाली shop काफी लंबे टाइम तक ऐसे ही बंद रही। इससे वह इतना डर गए कि उन्होंने फिर से Delhi में दुकान खोलने का फैसला ही बदल दिया। लेकिन Shivkishan को पता था कि Delhi की ब्रांच जाते ही बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा उनका इसलिए उन्होंने फिर से हिम्मत जुटाते हुए अपने भाई को लेकर वापस से दुकान को ओपन कर लिया। यहां भी उन्होंने अपने तरीके से ब्रांच को चलाया और देखते ही देखते Nagpur की तरह उनकी यह ब्रांच भी फेमस हो गई। और फिर 2003 तक आते-आते इन्होंने अमेरिका तक में अपने प्रोडक्ट्स को एक्सपोर्ट करना शुरू कर दिया। आज करीब 400 से ज्यादा खाने की चीजों के साथ Haldiram 80 से ज्यादा देशों में अपने प्रोडक्ट्स को एक्सपोर्ट कर रहा है और लगभग हर देश में इनके अपने आउटलेट्स भी हैं। अब ऐसा नहीं है कि इतनी बड़ी सक्सेस के बाद उनको बाद में कोई प्रॉब्लम नहीं हुई। साल 2015 में अमेरिका ने Haldiram के एक्सपोर्ट को कंपलीटली बैन कर दिया क्योंकि उस वक्त अचानक से यह खबर फैल रही थी कि Haldiram अपने प्रोडक्ट्स में pestisides का इस्तेमाल करता है। हालांकि कंपनी ने कुछ ही टाइम में इस अफवा को गलत साबित करके दिखाया क्योंकि ऐसा कोई भी रिसर्च पेपर सामने नहीं आया जो कि प्रूफ देता हो इस चीज का। जिससे आगे चलकर इन पर लगा हुआ बैन हटा दिया गया और अमेरिका के अंदर इनका एक्सपोर्ट आज तक भी जारी है। तो यह थी दोस्तों Haldiram कंपनी की एक कंप्लीट स्टोरी जो स्ट्रगल और सक्सेस का एक Roller coaster थी। टेक केयर और यहां तक बने रहने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया ।