Mahashivaratri 2024: शुक्रवार, 8 मार्च को, भारत भगवान शिव और देवी पार्वती के सम्मान में एक हिंदू त्योहार महाशिवरात्री मनाएगा। हिंदू मंदिर शिवरात्रि, जिसे महाशिवरात्री भी कहा जाता है, बहुत धूमधाम से मनाते हैं, जब भक्त ब्रह्मांड के सबसे दयालु देवता और विनाशक भगवान शिव की पूजा करते हैं। हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, महा शिवरात्रि हमेशा सर्दियों के अंत में फाल्गुन महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होती है। जबकि शिवरात्रि चंद्र-सौर कैलेंडर में प्रत्येक माह के पहले दिन मनाई जाती है, भगवान शिव के सम्मान में महान रात वर्ष में केवल एक बार होती है।
लोग बड़े उत्साह के साथ महा शिवरात्रि मनाते हैं, उपवास करते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिन्हें महादेव के नाम से भी जाना जाता है। पूरे देश, नेपाल के विभिन्न क्षेत्रों और वेस्ट इंडीज में भगवान शिव के बारे में कई किंवदंतियाँ बताई जाती हैं।
भक्त महा शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का व्रत रखते हैं और उनका सम्मान करते हैं। यह दिन सिर्फ भारत में ही नहीं मनाया जाता; यह नेपाल और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में भी मनाया जाता है। महा शिवरात्रि के उत्सव के संबंध में आम तौर पर प्रचलित कई मिथकों के समान, शिव रात्रि नृत्य परंपरा बहुत महत्वपूर्ण है और इसका एक लंबा इतिहास है। कोणार्क, खजुराहो, पट्टदकल, मोढेरा और चिदम्बरम सहित प्रमुख हिंदू मंदिरों में महा शिवरात्रि पर वार्षिक नृत्य उत्सव आयोजित किए जाते रहे हैं।
2024 में क्यों मनाया जाता है महाशिवरात्री का त्यौहार?
हिंदू किंवदंती है कि इसी रात भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया था। उनके गौरवशाली मिलन की याद में इस दिन को ‘भगवान शिव की रात’ के रूप में सम्मानित किया जाता है। माँ पार्वती प्रकृति का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो प्रकृति है, जबकि भगवान शिव पुरुष का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो चेतना है। इस चेतना और ऊर्जा के एक साथ आने से सृजन को सहायता मिलती है।
मखिवरात्रि 2024: उपवास के लिए दिशानिर्देश
महाशिवरात्रि पर, कई भगवान शिव के अनुयायी उपवास करते हैं। कुछ अनुयायी केवल पानी और आलू पर उपवास करना चुनते हैं, जबकि अन्य अपने आहार में कद्दू, केला, मखाना और आलू जैसे खाद्य पदार्थ शामिल करते हैं।
महाशिवरात्रि 2024: पूजा अनुष्ठान
महाशिवरात्रि पर व्रत रखना अत्यंत सौभाग्यशाली माना जाता है। भगवान शिव के संरक्षक मंदिर में जाते हैं और भगवान शिव को ‘पंचामृत’ अर्पित करते हैं। दूध, दही, चीनी, घी और शहद के मिश्रण को पंचामृत कहा जाता है।